गणगौर पूजन विधि व गीत
होली के आते
ही गणगौर के गीत मुँह पर आने लगते है, हम गुनगुनाने लगते है| वैसे तो चैत्र शुक्ला
तीज को गणगौर की बड़ी पूजा की जाती है लेकिन होली के दूसरे दिन से ही गणगौर की सोलह
दिन की पूजा शुरू हो जाती है जो महिलाये सोलह दिन गणगौर पुजती है वे होली के दुसरे
दिन से ही पूजा करने लगती है
होली के दुसरे दिन सबसे पहले एक पाटे पर
महिलाये आठ आठ बिंदी रोली, मेहंदी, काजल,व कुवारी लडकियाँ 16 -16 बार बिंदी लगाती
है फिर कुवारी लडकियाँ अच्छे पति के लिए और महिलाये अपने अमर सुहाग के लिए पार्वती
माता से प्रार्थना करती है|
उसके बाद बाड़ी खुलवाने का गीत गाती है :-
बाड़ी वाला बाड़ी खोल,
बाड़ी की किवाड़ी खोल,
म्हें आई छा दोब ने|
किणोसारी बेटियाँहो किणोसारी बहना हो|
ब्रह्मा जी री बेटियाँ ईसर जी री बहना हां |
बाड़ी वाला बाड़ी खोल ....................इस तरह
अपने घर वालो के नाम लेकर गीत गाते है|
उसके बाद गणगौर माता
से किवांडी खुलाने का गीत गाते है| जो इस प्रकार है:-
गौर ए गणगौर माता खोल किवांडी|
बहार ऊबी थारी पूजन वाली|
पूजो ए पुजारण वाली कांई कांई मांगो|
म्हें मांगा अन्नधन लाखण लक्ष्मी|
जल हर बाबुल मांगा राता देई माँ ये|
कान्ह कंवर सो बीरो मांगा, राईसी भोजाई |
काले घोड़े काको मांगा, चुडला वाली काकी|
बिणजारो सो फूफा मांगा, बिणजारी सी भुआ|
कजल्यो सो बहनोई मांगा गवरल बाई बहन रे|
महला चढ़ता साहिब मांगा ज्यांकी मै घर नार ऐ |
गोद जडुल्यो पूत मांगा ज्यांकी मै माय ऐ|
बंदी ये बुआरी मांगा सौ परिवार ऐ|
रोड़ो ए रोड़ो बाई दही भरयो कचोलो|
इतरी सी नगरी में ईसर गौर को जोड़ो |
ईसर जी रा नैण सुरमा भर रेखा,
गौर बाई रा नैण काजलिया री रेखा|
इसके बाद गौर माता
को पूजने का गीत गाते है:-
गौर –गौर गोमती, ईसर पूजे पार्वती|
पार्वती का आला गीला, गौर का सोना का टीका|
म्हाके है कुकू का टिका|
टीका दे टमका दे , गौर रानी व्रत करे |
करता करता आस आयो मास आयो, खेरे खाते लाडू लायो|
लाडू ले बीरा ने दियो बीरो म्हाने पाल दी |
पाल का मै व्रत किया|
सन मन सोलहा, सात कचौरा, दौनु जोड़ा|
जोड़ जंवारा गेहूँ ग्यारह |
रानी पूजे राज ने मै म्हाका सुहाग ने|
रानी को राज बढतो जाये म्हाको सुहाग बढतो जाये |
कीड़ी कीड़ी ले कीड़ी थारी जात है, जात है गुजरात
है|
गुजराता रो पानी दे दे थम्बा तानी, तानी में
सिंघाड़ा पानी भिजोड़ा|
म्हारो भाई ऍम लियो खेम लियो, लाडू लियो पेड़ा
ल्यो|
सेव ल्यो सिंघाड़ा ल्यो, झर झरती जलेबी ल्यो,
हरी हरी दूब ल्यो|
अब इसके बाद पाटा
धोने का गीत गाते है :-
पाटो धो बाई पाटो धो बीरा की बहन पाटो धो|
पाटा ऊपर पीलो पान म्हें ज्यासां बीरा री शान|
जान जास्यां पान खास्यां बीरा ने परणास|
थाली में खाजा म्हारो बीरो राजा|
थाली में पताशा म्हारो बीरो करे तमाशा|
ऍल खेल नंदी बैल, ओ पानी कठे जासी राज|
आधो जासी अलिया गलिया, आधो ईसर न्हासी राज |
ईसर जी तो न्हाय लिया, गौरा बाई न्हासी राज |
गौर बाई रे बेटो जायो, भुवा बधाई लायी राज |
अरदा तानो परदा तानो, बंदरवाल बन्धाओ राज |
सार केरी सुई लाओ पाट का रा धागा|
सेर सेर सिवो म्हारा भतीजा रा बागा|
आवो रे भतीजा थांकी भूवा लायी बागा|
भुवा बाई रे कारणे भतीजा रहगया नागा|
नागा नागा काई करो और सिवास्या बागा |
अब इसके बाद जो दूब हमने पूजने के लिए हाथ में
ली है उसे चढ़ा देंगे और एक बड़े दिए में एक कोढ़ी, सुपारी, चांदी की अंगूठी, और एक
रुपया डाल कर उसमे थोडा पानी डाल कर लोटे के ऊपर रख कर आरती गायेंगे|
म्हारी डूंगर चढ़ती सी बेलन जी
म्हारी मालाण फूलडा से लाय|
सूरज जी थांको आरतो जी| चन्द्रमा जी थाको आरतो जी
|
ब्रह्मा जी थांको आरतो जी, ईसर जी थांको आरतो जी|
कनमा जी थांको आरतो जी |
थांको आरतियां में आदर मेलू पादर मेलू, पाना की
पचास मेलू|
पीली पीली मोहरा मेलू, धोला धोला रूपया मेलू|
डेढ़ सौ सुपारी मेलू, मोतीडा रा आखा मेलू|
राजा जी रा सुवो मेलू, राणी जी की कोयल मेलू|
करो न भाया की बहना आरतो जी|
करो न सायब की गौरी आरतो जी
इसके बाद गौर माता को
धोक देकर अपने सुहाग की लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करेंगे|
ऐसे ही सोलह दिन तक
रोज पूजा करते है| सोलवे दिन गीत और कहानी भी कहते है जो हम हमारे अगले ब्लॉग में
लेकर आयेंगे| धन्यवाद् ...........................
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